'करें योग,रहें नीरोग'
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आओ करें नित योग
रखें तन-मन नीरोग ।
योग से दीर्घायु-संयोग
योग से दूर हों सब रोग।
थोड़ा ध्यान लगाएँ,
करें चंद योगासन;
स्वास्थ्य की कुंजी हैं,
प्राणायाम, ध्यानासन।
पहला सुख निरोगी काया,
योग से यह संभव हो पाया;
आत्मानुभूति- आनंद पाकर,
शांत चित्त मन अति हर्षाया।
योग के हैं चौरासी आसन
कुछ का करें नियम से पालन।
आओ अपनाएँ प्रसन्न होकर
जीवन में लाएँ अनुशासन ।
शांत मन से धरें ध्यान साँसों पर
विश्व शांति का अलख जगाएँ
योगासनों में हैं बड़े-बड़े गुण
दुनिया को आओ सिखलाएँ।
करत-करत अभ्यास के
योग-सुजान बन जाएँ,
कलयुग में हम विश्व को
योग से शांति प्रेम सिखलाएँ।
रचनाकार–
प्रेरणा शर्मा [21/06, 16:07]
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