Saturday, 17 June 2017

ये रास्ते

'ये रास्ते '
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रास्तों की चाहे मंज़िल हो न हो 
मंज़िल तक जाने का ज़रिया तो हैं ।
टकराकर चौराहों पर ही सही 
मिलन की जुस्तज़ू करते तो हैं ।
आना-जाना है खेल ज़िंदगी 
आते-जाते रास्ते  सिखलाते हैं
चलते रहने का पाठ निरन्तर
ये रास्ते बखूबी हमें पढाते हैं।

-प्रेरणा शर्मा (18-6-17)

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