'ये रास्ते '
-------
रास्तों की चाहे मंज़िल हो न हो
मंज़िल तक जाने का ज़रिया तो हैं ।
टकराकर चौराहों पर ही सही
मिलन की जुस्तज़ू करते तो हैं ।
आना-जाना है खेल ज़िंदगी
आते-जाते रास्ते सिखलाते हैं
चलते रहने का पाठ निरन्तर
ये रास्ते बखूबी हमें पढाते हैं।
-प्रेरणा शर्मा (18-6-17)
No comments:
Post a Comment