'कहानी अपनी-अपनी '
मानव का जीवन मानो कहानियों की किताब।हम सबके पास अपनी- अपनी कहानियाँ हैं इसके अंदर ।
कभी अपनी पढ़ते हैं, कभी दूसरे की सुनते हैऔर भावविभोर हो बैठतेहैं इन्हीं को पढ़ते ,सुनते ,देखते---!
जिंदगी का फ़लसफ़ा इतिफाक से इत्मिनान के सफ़र पर
निकल पड़ता है।न चाहत से शुरू हुआ ;न चाहने से रुक सकता।
यह तो हम पर निर्भर है कि हम गुज़रते कारवाँ के ग़ुबार को देख अफ़सोस करें या वक्त के कारवाँ के साथ क़दम मिला कर आगे बढ़ें ।
कहानी और संदेश सबके पास है। बात तो तब बनें जब हम इसका उपयोग लोगों के जीवन में प्रोत्साहित करने सहयोग का हाथ बढ़ाकर ख़ुशियों का चमन महकाने में करें।हम उन कहानियों को किसी के जीवन को सुंदर बनाने और आगे ले जाने के काम में लें।
इतिफाक और इत्मिनान के दरमियाँ यही हमारा इम्तिहान सही।
- प्रेरणा शर्मा(15-10-16)
Saturday, 15 October 2016
कहानी अपनी-अपनी
Labels:
संदेश
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment