Saturday, 15 October 2016

बचपन की यादें

'बचपन की भीनी सी यादें'
––––––––––––––

बचपन की भीनी सी यादें ,
रहती हूँ आँचल में बाँधे।
ये हैं जीवन की सौग़ातें ,
कुछ खट्टी कुछ मीठी बातें।

बचपन को यादों में लाऊँ
मन ही मन में मैं मुस्काऊँ।
एक बात जो यहाँ बताऊँ
अाप के मन को भी हर्षाऊँ।

मेरी अनुजा प्रतिभा थी , तब
छः वर्ष की नन्हीं नादान।
उम्र मेरी लगभग ग्यारह की
कुछ हो चली सयानी जान।

फूलों वाली फ़्रॉक पहनकर
जब मैं पहुँची उसके पास।
फ़ौरन मुझसे माँग उसे
पहन चुकी थी वह तत्काल।

फूली नहीं समाई प्रतिभा
सबको दिखा रही थी बारंबार ।
घूम रही थी इधर-उधर
पर नहीं रही थी उसे उतार।

मैं बैठी छुपकर सहमी सी
कर रही फ़्रॉक का इंतज़ार।
दे दे बहना कहूँ भी कैसे
वहआ भी नहीं रही थी आसपास।

तभी माँ ने जब देखा मुझको
छुपी पेड़ के पास।
मंद-मंद मुस्काई माँ भी
जानी जब मुझसे सब बात।

कुछ -कुछ लालच देकर उसको
जैसे-तैसे किया  तैयार ।
फ़्रॉक पहन मैं ख़ुश थी मानों
आ गई हो साँसों में साँस।

ये बचपन की भीनी यादें,
छोटी -छोटी बच्चों वाली बातें।
जीवन की सच्ची सौग़ातें ,
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें।

रचना -
प्रेरणा शर्मा ,जयपुर

No comments:

Post a Comment