करीब एक सप्ताह पहले ही दीपावली का त्योहार प्रकाश की जगमग से घर-आँगन, गली-मोहल्ले, बाजार
के ओने-कोने को दीप्त कर रहा था।
लक्ष्मी के आगमन का उत्साह सर्वहारा और पूँजीपतियों में कॉम्पीटीशन दे रहा था।
सबसे अधिक डिमांड साफ-सफाई करवाने के लिए
घर के काम करने वाले नौकर-दाइयों की थी।उनका विशेष ख़याल रखा जा रहा था। दोस्ती का यह रूप अघिकांश सभी जगह दिखाई दिख रहा था चाय-नाश्ते से लेकर खाने तक के लिए बड़े स्नेह से मनुहार की जा रही थी। मनुहार हो भी क्यों न,
आखिर उनके जरिए ही तो गणेश जी, सरस्वती जी और महालक्ष्मी जी उनके घर में चिरकाल तक विराजेंगें।
दीपकों के प्रकाश से पहले ही कृत्रिम दोस्ती के दीपकों से मन को आलोकित करने की परंपरा का पालन किया जा रहा था।
कृत्रिम ही सही काश ! यह दोस्ती का दीपक वर्षभर सर्वहाराओं के दिलों को जगमग रख सकता।
@प्रेरणा शर्मा २७-११-१९
Sunday, 3 November 2019
दोस्ती का दीपक
Subscribe to:
Comments (Atom)