विश्वबधुत्व
नुमाइश में रखा
जैसे ज़ेवर।
ज़ेवर की चमक
करती लकदक।
शांति-प्रयास
शीतलअहसास
दिल में जगे।
श्वेत कपोत सदा
कोने-कोने से उड़े ।
अमन माला
भारत ने पहनी
सौग़ात मिली।
जर्जर मानवता
स्वजन बलिदान।
बड़ी ताक़तें
संधियाँ-प्रतिबंध
लगा लूटती।
विकास की ज़ंजीर
बेवजह खींचती।
पड़ौसी देश
ज़हर उगलते
विश्वासघाती।
भुजंग-पय-पान
मिलेगा विष-दान।
नाम तो पाक
हरकतें नापाक
हरकदम।
तेवर दग़ाबाज़
बड़ा पैंतरेबाज।
मुँह में राम
बग़ल में छुरी
झूठ ही झूठ।
है पाक बेईमान
बडा बदमिज़ाज ।
ख़ून-खराबा
अस्त-व्यस्त जीवन
सहमी साँसें ।
भारती का दामन
बेबस-औ-लाचार।
बहुत हुआ
बंधुत्व का ज़ेवर
शांति की माला।
कोई लातों का भूत
कब बातों से माना।
कब तलक
सहनशील बनें
ज़हर पिएँ?
घाव दगे के सहें
प्रत्यंचा क्यों न तने?
जागो जगाओ
भुजबल संभालो
देश बचाओ।
पौरुष दिखलाओ
दुश्मन ललकारो।
जय भारत!
उद्घोष गगन में
गूँज हवा में।
दुश्मन थरथराए
भारत खिलखिलाए।
-प्रेरणा शर्मा
जयपुर (राजस्थान )
19-07-16 (भारतीय सेना- दिवस )
नुमाइश में रखा
जैसे ज़ेवर।
ज़ेवर की चमक
करती लकदक।
शांति-प्रयास
शीतलअहसास
दिल में जगे।
श्वेत कपोत सदा
कोने-कोने से उड़े ।
अमन माला
भारत ने पहनी
सौग़ात मिली।
जर्जर मानवता
स्वजन बलिदान।
बड़ी ताक़तें
संधियाँ-प्रतिबंध
लगा लूटती।
विकास की ज़ंजीर
बेवजह खींचती।
पड़ौसी देश
ज़हर उगलते
विश्वासघाती।
भुजंग-पय-पान
मिलेगा विष-दान।
नाम तो पाक
हरकतें नापाक
हरकदम।
तेवर दग़ाबाज़
बड़ा पैंतरेबाज।
मुँह में राम
बग़ल में छुरी
झूठ ही झूठ।
है पाक बेईमान
बडा बदमिज़ाज ।
ख़ून-खराबा
अस्त-व्यस्त जीवन
सहमी साँसें ।
भारती का दामन
बेबस-औ-लाचार।
बहुत हुआ
बंधुत्व का ज़ेवर
शांति की माला।
कोई लातों का भूत
कब बातों से माना।
कब तलक
सहनशील बनें
ज़हर पिएँ?
घाव दगे के सहें
प्रत्यंचा क्यों न तने?
जागो जगाओ
भुजबल संभालो
देश बचाओ।
पौरुष दिखलाओ
दुश्मन ललकारो।
जय भारत!
उद्घोष गगन में
गूँज हवा में।
दुश्मन थरथराए
भारत खिलखिलाए।
-प्रेरणा शर्मा
जयपुर (राजस्थान )
19-07-16 (भारतीय सेना- दिवस )
